रंजिश भी इतनी क्या मंजिल से रखी
के रास्ता हर भुला के बैठा
वो रात को दिन करने की खातिर
सब चाँद अपने जलाके बैठा
ये उनको ज़िद के अब रो पडूँ फिर
के रास्ता हर भुला के बैठा
वो रात को दिन करने की खातिर
सब चाँद अपने जलाके बैठा
ये उनको ज़िद के अब रो पडूँ फिर
मैं बेचारा, आँसू सारे गवाँ के बैठा
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