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toothpaste for dinner

Friday, June 3, 2011

रंजिश भी इतनी क्या मंजिल से रखी

रंजिश भी इतनी क्या मंजिल से रखी

के रास्ता हर भुला के बैठा
वो रात को दिन करने की खातिर
सब चाँद अपने जलाके बैठा
ये उनको ज़िद के अब रो पडूँ फिर
मैं बेचारा, आँसू सारे गवाँ  के बैठा 




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