किया है प्यार जिसे हमने ज़िंदगी की तरह
वो आशना भी मिला हमसे अजनबी की तरह
बड़ा के प्यास मेरी उस ने हाथ छोड़ दिया
वो कर रहा था मुरव्वत भी दिल्लगी की तरह
किसे खबर थी बढेगी कुछ और तारीकी
छुपेगा वो किसी बदली में चांदनी की तरह
कभी न सोचा था हमने "क़तील" उस के लिए
करेगा हम पे सितम वो भी हर किसी की तरह
-- क़तील शिफ़ाई
वो आशना भी मिला हमसे अजनबी की तरह
बड़ा के प्यास मेरी उस ने हाथ छोड़ दिया
वो कर रहा था मुरव्वत भी दिल्लगी की तरह
किसे खबर थी बढेगी कुछ और तारीकी
छुपेगा वो किसी बदली में चांदनी की तरह
कभी न सोचा था हमने "क़तील" उस के लिए
करेगा हम पे सितम वो भी हर किसी की तरह
-- क़तील शिफ़ाई
3 comments:
A wonderful creation, by a wonderful writer
Aw, this was a really nice post. In idea I would like to put in writing like this additionally - taking time and actual effort to make a very good article… but what can I say… I procrastinate alot and by no means seem to get something done.
thanx :)
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