एक दोस्त ने बहुत सुंदर लाइन सुनाई हैं आज
"तुझसे कहाँ कुछ लिया हैं मैंने,
दर्द भी अगर दिया, तो बस दिया हैं मैंने"
और एक बहुत ही अजीज को शक की धुंध ने घेरा हैं
महकती हैं किताब आज भी
सुखा हुआ पन्नों में
रखा गुलाब आज भी
वो कहते हैं धुंध
दिखती हैं चेहरे पे मेरे
माथे की लकीरों पे
छिपा अजाब आज भी
जो रूठ कर चल दिए
आँखों से रिश्ता तोड़
पलकों ने सजा रखे हैं
उनके ही ख्वाब आज भी
जिनके मुक़द्दर का
नासूर बन बैठा हूँ
उनसे ही रौनक हैं,
किस्मत की ताब आज भी
Friday, July 10, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
4 comments:
Kya baat hai.....
"sab kuchh luta ke tune,
khudko jalake tune,
har shaks ko diya hai,
bas diya hai aur diya hai
muzpar udhar hai wo,
sare hisab aaj bhi."
पथिक तू क्य़ो घबराता है ,
जीवन तो यही सिख़ाता है।
साथी संगी आते जाते,
जीवन च़लता हि जाता है।
पथिक तू क्य़ो घबराता है ,
जीवन तो यही सिख़ाता है।
साथी संगी आते जाते,
जीवन च़लता हि जाता है।
Post a Comment