किसी से मेरी मंजिल का पता पाया नहीं जाता
जहाँ मैं हूँ फरिश्तों से वहां आया नहीं जाता
मेरे टूटे हुए पा-ए-तलब का मुझ पे एहसान है
तुम्हारे दर से उठ के अब मुझसे कहीं जाया नहीं जाता
चमन तुमसे इबारत हैं बहार तुमसे हैं जिंदा
तुम्हारे सामने फूलों से मुरझाया नहीं जाता
हर एक दाग-ए-तमन्ना को कलेजे से लगाता हूँ
की घर आयी हुई दौलत को ठुकराया नहीं जाता
मोहब्बत के लिए कुछ खास दिल मखसूस होते हैं
ये वो नगमा है जो हर साज़ पे गया नहीं जाता
~(मखमूर देहलवी)
जहाँ मैं हूँ फरिश्तों से वहां आया नहीं जाता
मेरे टूटे हुए पा-ए-तलब का मुझ पे एहसान है
तुम्हारे दर से उठ के अब मुझसे कहीं जाया नहीं जाता
चमन तुमसे इबारत हैं बहार तुमसे हैं जिंदा
तुम्हारे सामने फूलों से मुरझाया नहीं जाता
हर एक दाग-ए-तमन्ना को कलेजे से लगाता हूँ
की घर आयी हुई दौलत को ठुकराया नहीं जाता
मोहब्बत के लिए कुछ खास दिल मखसूस होते हैं
ये वो नगमा है जो हर साज़ पे गया नहीं जाता
~(मखमूर देहलवी)
2 comments:
awesome one dude !! Keep up your great work !
glad u liked it :)
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